ढाका। बांग्लादेश ने 1975 के तख्तापलट में संलिप्तता के मामले में सेना के एक पूर्व कैप्टन को फांसी दे दी। तख्तापलट में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी। बीडी न्यूज24.कॉम की खबर के अनुसार अब्दुल मजीद को आज रात स्थानीय समयानुसार 12 बजकर एक मिनट पर केरानीगंज में ढाका केन्द्रीय कारागार में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। जेलर महबूब उल इस्लाम ने कहा कि मजीद को फांसी देकर मौत की नींद सुला दिया गया। राष्ट्रपति अब्दुल हमीद द्वारा बुधवार को दया याचिका ठुकराए जाने के बाद माजिद की मौत की सजा को चार दिनों के भीतर ही अंजाम दे दिया गया। अब्दुल माजेद पिछले 22 सालों से भारत में अपना ठिकाना बना रखा था। माजिद ने बांग्लादेश पुलिस के सामने खुलासा किया था कि वो करीब 22 साल से पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रह रहा था। माजिद ने पुलिस पूछताछ में यह खुलासा किया था। माजिद ने कबूल किया कि वह पिछले महीने कोलकाता से बांग्लादेश लौटा था। मजीद को बांग्लादेश पुलिस ने मंगलवार को ढाका में गिरफ्तार किया था। बंगबंधु की हत्या के करीब 45 साल बाद पुलिस को यह कामयाबी मिली थी। इससे पहले, बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमान खान कमाल पूर्व कप्तान अब्दुल माजेद की गिरफ्तारी की पुष्टि की थी और उन्होंने कहा था कि उसे अदालत भेज दिया गया है ताकि वह अपने कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल कर सके। कौन हैं शेख मुजीबुर रहमानः बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। मुजीबुर रहमान अवामी लीग के अध्यक्ष थे। उन्होंने ही जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई थी। वह बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति बने, उन्हें शेख मुजीब के नाम से जाना जाता है। उन्हें बंगबंध की पदवी से सम्मानित किया गया। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और उनके अधिकतर परिजनों की 15 अगस्त 1975 को की गई हत्या का दोषी पाए जाने पर 12 पूर्व सैन्य अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। दोषियों में से पांच को 2010 में फांसी दे दी गई थी जबकि एक की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई थी। अन्य दोषियों को अदालत में पेश कर मुकदमा चलाया गया था।